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गोगामेड़ी :- गोरक्ष गंगा में लाखों श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी।।

गोरक्ष गंगा का पानी व मिट्टी साथ ले जाते हैं पीताम्बरी श्रद्धालु

गोरक्ष गंगा में लाखों श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी।।

गोरक्ष गंगा का पानी व मिट्टी साथ ले जाते हैं पीताम्बरी श्रद्धालु।।

गोगामेड़ी :- ( राजरतन पारीक ) :- भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के मेले में गोरखटीला दर्शन करने वाले लाखों पीताम्बरी श्रद्वालुओं ने गोरक्ष गंगा में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। गोरखटीला आने वाले श्रद्धालु पहले गोरक्ष गंगा में स्नान कर अपने गुरु गोरखनाथ के दर्शन करते हैं तथा बाद में जाहरवीर गोगाजी महाराज के मंदिर में मत्था टेककर मन्नत मांगते हैं। आपकों बता दें कि मेले के पीक डेज में अष्टमी, नवमी व दसमी को मेला पुरे परवान पर था तथा मेला पीत वस्त्रधारी श्रद्वालुओं से खचाखच भरा हुआ था। मेले में श्रद्धालुओं ने पुजा अर्चना कर जमकर खरीददारी का भी लुत्फ उठाया। पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता हैं कि गोरक्ष गंगा में स्नान करने से चर्म रोग दुर हो जाते हैं। श्रद्धालुओं के इसमें स्नान करने से गोगाजी व गुरु गोरखनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। विभिन्न प्रान्तों से लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालु गोरक्ष गंगा में स्नान करने के बाद जाते वक्त अपने साथ गोरक्ष गंगा का पानी व मिट्टी भी साथ ले जाते हैं। कहा जाता हैं कि सर्प के काटने वाले स्थान पर गोरक्ष गंगा की मिट्टी व पानी लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता हैं तथा गोगाजी व गुरु गोरखनाथ भक्त की जान की रक्षा करते हैं। ये किंवदंती भी प्रसिद्ध हैं कि जहरीले कोबरा सांप के काटने पर गोगाजी की मेड़ी पर भक्त की पीठ थपथपाने से गोगाजी महाराज आशीर्वाद स्वरूप उनकी रक्षा करते हैं। डरते गुगा धौकने वाली कहावत भी काफी प्रचलित हैं कच्चे दुध का घरों में छींटा लगाकर गोगाजी महाराज का नाम लेने से घरों में कभी जहरीले सांप व बिच्छू नहीं आते हैं। अगर आ भी जाते हैं तो कच्चे दुध का छींटा लगाने से वो बिना नुकसान किए वापस गोगाजी महाराज की शरण में चले जाते हैं। इसका स्पष्ट व जिता जागता उदाहरण भी यहां देखा जाता हैं। जहां गोगाजी की संकलाई होती हैं वहां जहरीले जानवर व जीव जन्तु कभी नहीं आते।। @newstodayhry #newstodayhry

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