कुरुक्षेत्र के गुरुद्वारा पातशाही छठी में जत्थेबंदियों और सिख संगत ने पंजाब के 3 तख्त साहिबान के जत्थेदारों को सेवामुक्त करने पर जताया रोष।।
कुरुक्षेत्र के गुरुद्वारा पातशाही छठी में जत्थेबंदियों और सिख संगत ने पंजाब के 3 तख्त साहिबान के जत्थेदारों को सेवामुक्त करने पर जताया रोष।।


कुरुक्षेत्र-(संगीत गीत):-कुरुक्षेत्र के गुरुद्वारा पातशाही छठी में जत्थेबंदियों और सिख संगत ने पंजाब के 3 तख्त साहिबान के जत्थेदारों को सेवामुक्त करने पर रोष व्यक्त किया। इस मामले में संगत ने बड़ी बैठक बुलाकर आगे की रणनीति बनाने पर विचार भी किया। संगत ने जत्थेदारों को सेवा मुक्त करने के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग रखी। साथ ही नवनियुक्त जत्थेदार की नियुक्ति को सिख मान-मर्यादा के खिलाफ बताया। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी (HSGMC) के मेंबर हरमनप्रीत सिंह के मुताबिक, 7 मार्च को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की एक्जीक्यूटिव ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब रघुबीर सिंह व तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब सुल्तान सिंह को अचानक सेवामुक्त कर दिया, जबकि उन पर किसी तरह का कोई इल्जाम भी नहीं था। एक्जीक्यूटिव कमेटी को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। इस फैसले से संगत की भावना भी आहत हुई है। हरमनप्रीत सिंह ने पत्रकारों को बताया कि तख्त साहिबान के जत्थेदार साहिब किसी के मुलाजिम नहीं है। वे तख्त साहिब की सेवा संभाल सिख मर्यादा अनुसार कर रहे थे। तख्त साहिबान समूचे खालसा पंथ के लिए सर्वोप्रिय है। साथ ही उनको हटाना की प्रक्रिया भी असंवैधानिक है। इसके अलावा तख्त साहिब केसगढ़ साहिब पर 9-10 मार्च की रात करीब 3 बजे कुलदीप सिंह गढ़ गंज को जत्थेदार नियुक्त किया गया। इस ताजपोशी से गुरुमत मर्यादा को ठेस पहुंची है। एडवोकेट जसदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, इसके पीछे 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब से जारी हुआ हुक्मनामा बड़ी वजह है। इस हुकुमनामे में SGPC, शिरोमणि अकाली दल बादल (SAD) और कुछ सिख नेता की धार्मिक व अमर्यादित फैसले को मध्य नजर रखते हुए सजा सुनाई थी। इसमें पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, विक्रमजीत सिंह मजीठिया समेत बड़े सिख नेता शामिल थे। इन सिख नेताओं ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम-रहीम को माफी, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और बरगाड़ी कांड समेत कुछ अन्य गलतियां की। आरोप है कि इसका बदला लेने के लिए इन जत्थेदार साहिबानों को सेवामुक्त कर दिया। संगत का मानना है कि यह बदले की भावना से लिया गया फैसला है। इसे पर दोबारा विचार होना चाहिए। ये हुक्मनामा पंथ को इकट्ठा करने के लिए जारी किया गया था।। #newstodayhry @newstodayhry